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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2668
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन

प्रश्न- सहकारी संगठन के लाभ बताइये।

उत्तर -

सहकारी संगठन के लाभ
(Advantages of Co-operative Organisation)

सहकारी संगठन के लाभ / महत्व को निम्नवत समझाया जा सकता है -

(I) आर्थिक लाभ (Economic Advantages) -

जेरी वोहरिस के अनुसार, "सहकारिता एकाधिकार के खतरे को और सत्ता के केन्द्रीकरण को खत्म करता है।'

हेनरी डब्ल्यू. वोल्फ के अनुसार, "सहकारिता निर्धन व्यक्तियों की प्रगति और आर्थिक एवं सामाजिक मुक्ति के संग्राम में, एक सर्वोत्तम एवं सर्वोपयोगी तथा सबसे अधिक विश्वासी साथी है।'

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संघ के महानिदेशक डेविड ए. मोर्स के अनुसार, “सहकारिताओं ने वितरण के स्वरूप को विवेकपूर्ण बनाया है, क्रय शक्ति में वृद्धि की है, उपभोक्ताओं की सुरक्षा बढ़ाई है, आवासों की कमी को घटाया है। उन्होंने कृषि, मछली व्यवसाय शिल्प और उद्योग में लघुस्तरीय उत्पादन के आधुनिकीकरण में योग दिया है। उन्होंने उत्पादित वस्तुओं के गुण को ऊँचा किया है तथा उत्पादन में वृद्धि की है। उन्होंने विपणन व्यवस्था को अधिक कुशल बनाया है, अनेक व्यक्तियों को उत्पादनशील पूँजी का निर्माण करने के लिये प्रोत्साहित किया है। विस्तृत अर्थ में सहकारिता - विकास आर्थिक विकास के लिये एक प्रभावी उत्प्रेरक (Stimulation) बन गया है।"

सहकारी संगठन के आर्थिक लाभ निम्नलिखित हैं-

(1) सहकारी संगठन से एकाधिकार समाप्त हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप वस्तुएँ सस्ती मिलने लगती हैं।
(2) सहकारी संगठन अपने सदस्यों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
(3) सहकारी संगठन से मांग एवं पूर्ति में समन्वय बना रहता है जिससे पूर्ति की समस्या उत्पन्न नहीं होती है।
(4) सहकारिता अपने सदस्यों को बचत करने की आदत सिखाती है।
(5) सहकारिता कुछ व्ययों को करने से रोकती है जैसे विज्ञापन, सजावट इत्यादि।
(6) सदस्यों को सस्ती एवं टिकाऊ वस्तुएँ मिलने के कारण सदस्यों की क्रय-शक्ति बढ़ती है।
(7) सहकारिता में सही नापतौल की जाती है जिसकी वजह से ठगे जाने का सन्देह नहीं रहता है।
(8) सहकारी संस्थानों को सरकार के द्वारा सहायता प्रदान की जाती है जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक स्थिति सुदृढ़ रहती है।
(9) सहकारी संगठनों का मूल्यों के स्थायित्व में विशेष योगदान है।

(II) सामाजिक लाभ (Social Advantages) -

कार-सौण्डर्स (Carr Saunders ) तथा अन्य विद्वानों के विचार में, "सहकारिता की सामाजिक- उपलब्धियों के दो पहलू हैं नकारात्मक तथा व्यावहारिक। उसका नकारात्मक पक्ष यह है कि उसने आर्थिक क्षेत्र से, जहाँ तक सम्भव हो सका है, असामाजिक अथवा सम्भावित असामाजिक प्रभावों को समाप्त करने का प्रयास किया है। व्यावहारिक पक्ष के अन्तर्गत उसने उन लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाया है जो व्यापारिक संगठन के नियंत्रण में हिस्सा लेने के लिये आगे आये हैं। केवल इतना ही नहीं, औद्योगिक क्षेत्र में कर्मचारियों अथवा श्रमिकों की स्थिति में जो लाभकारी परिवर्तन हुए हैं उनका भी श्रेय सहकारिता को ही है।'

1. सहकारी संगठन लोगों की सामाजिक दृष्टि से अधिक सजग एवं जागरूक नागरिक बनाने में सहायक होती है तथा उन्हें अच्छी नागरिकता का प्रशिक्षण देती है।
2. सहकारी संस्थाएँ अपने सदस्यों में आत्म- महत्व की भावना जाग्रत करती है। यदि सहकारी संस्थाएँ न होतीं तो ऐसे व्यक्ति समाज में अकेले रहते तथा उनको कोई भी किसी प्रकार का महत्व न देता।
3. सहकारी संगठन ही सामाजिक परिवर्तन लाने का एक सुगम एवं उपयुक्त मार्ग है, जिसमें न तो अवांछनीय तरीके और न ही हिंसा को अपनाना पड़ता है।
4. इसका उद्देश्य एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति का तथा एक राष्ट्र द्वारा किसी अन्य राष्ट्र का शोषण समाप्त करना है।
5. अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी संस्थाओं के मध्य सम्बन्ध स्थापित होने पर विश्व में शान्ति स्थापित की जा सकती है।
6. जब कोई समाज सहकारिता द्वारा अपनी सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को सुलझाने में सफल हो जाता है, तब वह अपने आध्यात्मिक विकास की ओर विशेष ध्यान देता है जिससे उस समाज या वर्ग का आध्यात्मिक स्तर ऊँचा उठने लगता है।
7. सहकारी संस्था का एक महान् सामाजिक गुण यह है कि वह स्वार्थ की भावना को कम करके दूसरों का उपकार करने की भावना का निर्माण करता है। इसका कारण यह है कि कोई भी सहकारी संस्था उस समय तक सफल नहीं हो सकती जब तक कि प्रत्येक सदस्य त्याग करने के लिये तत्पर न हो।
8. सहकारी संस्थाओं के अभाव में बहुत छोटे-छोटे किसान कुशलतापूर्वक काम करने में असमर्थ हो जायेंगे तथा उनके खेत धीरे-धीरे बड़े किसानों के हाथ में चले जायेंगे।
9. सहकारी संगठन से मनुष्य को अवसरों से लाभ उठाने की स्वतन्त्रता के साथ-साथ बड़े पैमाने पर संगठित प्रबन्ध और संगठन का लाभ प्राप्त होता है, साथ ही लोगों का सामुदायिक सद्भाव और समर्थन भी मिलता है।

सहकारिता तथा सहयोग पर आधारित जीवन व्यतीत करने से लोगों में सर्वोत्तम गुणों का विकास होता है जिससे उनके जीवन का स्तर ऊँचा उठता है।

सहकारिता के अन्तर्गत धन का प्रयोग मानव हितों की रक्षा के लिये किया जाता है। मनुष्य को अधिक महत्व दिया जाता है, न कि धन को। यही कारण है कि द्रव्य अथवा मुद्रा को सेवक के रूप में प्रयोग करके लोगों को सुरक्षित एवं सुसंस्कृत जीवन व्यतीत करने में सहायता प्रदान की जाती है।

(III) राजनैतिक लाभ (Political Advantages )-

सहकारी संगठन में राजनैतिक लाभ निम्नलिखित हैं-.

1. सदस्यों में लोकतन्त्र की भावना उत्पन्न होती है।
2. सदस्यों को अपने अधिकारों, कर्तव्यों एवं दायित्वों का बोध होता है।
3. समाज में राजनैतिक चेतना आती है तथा देश के लोग अच्छे नागरिक की तरह कार्य करते हैं।

(IV) शिक्षात्मक लाभ (Educational Advantages)-

सहकारी संगठन अथवा सहकारिता के शिक्षात्मक लाभ निम्नलिखित हैं-

1. सहकारी संस्थाएँ समाज में व्याप्त तनाव को कम करती हैं और लोगों को यह शिक्षा प्रदान करती हैं कि वे एक सामूहिक उद्देश्य के लिये एक साथ मिलकर कैसे कार्य कर सकते हैं।

2. सहकारिता यह शिक्षा भी प्रदान करती है कि हम लोग एक-दूसरे पर निर्भर हैं, हम लोगों को एक-दूसरे की सहायता की आवश्यकता है तथा हमें लोगों की सामाजिक उन्नति के लिये एक साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।

3. सहकारी संस्था एक व्यापार करने की रीति से पूर्व शिक्षा देने का एक सामाजिक आन्दोलन है। एक अच्छी सहकारी समिति अपने सदस्यों की शिक्षा के लिये एक सतत् उद्गम स्थान है।

4. एक ऋणदात्री समिति सदस्यों को धन का उचित इस्तेमाल करना सिखाती है, सहकारी उपभोक्ता भण्डार सदस्यों को क्या खरीदना चाहिए और वस्तुओं का क्या मूल्य है, यह सिखाता है एक विपणन सहकारी समिति उत्पादन के अच्छे तरीके बताती है।

5. सहकारिता एवं शिक्षा साथ-साथ चलती रही हैं कभी तो शिक्षा ने सहकारिताओं का निर्माण कराया और कभी सहकारिताओं ने शिक्षा के लिये व्यवस्था की। डॉ. फाक्चेंट ने लिखा है, "सहकारी समिति का पहला उद्देश्य अपने सदस्यों की आर्थिक दशा को सुधारना है. और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये वह जिन ढंगों को अपनाता है तथा जिन गुणों की वह अपेक्षा रखता है और सदस्यों में विकसित करता है वे उसे एक उच्चतर लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल बनाते हैं।

(V) सांस्कृतिक एवं धार्मिक लाभ (Cultural and Religious Advantages) - थोरो के शब्दों में, "अनेक व्यक्ति नितान्त निराशापूर्ण जीवन बिताते हैं। सच्ची सहकारिता धन एवं सम्पत्ति पर मनुष्य का प्रभुत्व स्थापित कर उन बाधाओं को दूर करने में समर्थ होती है जो उसे अपनी रक्षा स्वयं करने तथा शिष्ट जीवन बिताने से रोकती है। सहकारिता मनुष्य के जीवन में उसके अच्छे गुणों का विकास करती है तथा उसे सांस्कृतिक एवं धार्मिक प्रगति पथ पर अग्रसर करती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- व्यवसाय का अर्थ बताइये। इसकी विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- व्यवसाय की विशेषताएं बताइये।
  3. प्रश्न- व्यवसाय के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- 'व्यवसाय किसी भी राष्ट्र की संस्कृति में एक प्रधान संस्था है, राष्ट्र के साधनों का एक प्रमुख उपभोक्ता एवं प्रबन्ध है तथा रोजगार एवं आय का मूल स्रोत है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  5. प्रश्न- व्यवसाय की परिभाषा दीजिए तथा इसके क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यवसाय का क्षेत्र समझाइये।
  7. प्रश्न- 'व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होना चाहिए या सेवा करना अथवा दोनों ही? इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  8. प्रश्न- व्यवसाय के विकास की अवस्थाएँ समझाइए।
  9. प्रश्न- व्यापार तथा वाणिज्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- वाणिज्य तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- व्यापार तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- 'व्यवसाय एक सामाजिक क्रिया है। समझाइये |
  13. प्रश्न- व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग का परस्पर सम्बन्ध बताइये।
  14. प्रश्न- व्यापार किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ?
  15. प्रश्न- वाणिज्य, व्यवसाय व व्यापार में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
  16. प्रश्न- व्यवसाय के उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- यदि व्यापार वाणिज्य का अंग है तो उद्योग उसका आधार है। इस कथन की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- व्यवसाय की अवधारणा स्पष्ट करो।
  19. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इसका महत्व अथवा लाभ बताइए।
  20. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का महत्व या लाभ समझाइए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन के उद्देश्य क्या हैं?
  23. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का कार्यक्षेत्र समझाइए।
  24. प्रश्न- आधुनिक व्यवसाय का क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएँ क्या होती हैं? ई-व्यवसाय का वर्णन कीजिए। इसके लाभ एवं हानियाँ भी बताइये।
  25. प्रश्न- ई-व्यवसाय क्या है?
  26. प्रश्न- ई-व्यवसाय के लाभ समझाइये।
  27. प्रश्न- ई-व्यवसाय की हानियाँ समझाइये |
  28. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण की अवधारणा समझाइए। इसके लाभ एवं हानियाँ क्या हैं?
  29. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण के लक्षण समझाइये।
  30. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के लाभ समझाइये |
  31. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण की हानियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- उन सेवाओं को समझाइए जिनका बाह्यस्रोतीकरण किया जा सकता है।
  33. प्रश्न- ई-व्यवसाय का क्षेत्र बताइये।
  34. प्रश्न- ई-व्यवसाय तथा परम्परागत व्यवसाय में अन्तर बताइये।
  35. प्रश्न- ई-व्यवसाय के क्रियान्वयन हेतु जरूरी संसाधन बताइये।
  36. प्रश्न- एक नये व्यवसाय की स्थापना करने से पूर्व ध्यान में रखे जाने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
  37. प्रश्न- नये व्यवसाय के सम्बन्ध में प्रारम्भिक अन्वेषण से आप क्या समझते हैं?
  38. प्रश्न- व्यवसाय संगठन के प्रारूप का चयन करते समय ध्यान में रखे जाने बिन्दु कौन-कौन से हैं?
  39. प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना के घटकों पर विचार करते समय वित्तीय नियोजन को समझाइये।
  40. प्रश्न- व्यवसाय के स्थान, स्थिति एवं आकार को बताइए।
  41. प्रश्न- क्या व्यवसाय की स्थापना में किन्हीं कानूनी औपचारिकताओं को ध्यान में रखना होता है?
  42. प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना करने में निम्नलिखित विचारणीय कारकों को समझाइये - (a) संयन्त्र अभिन्यास (b) क्रय तथा विक्रय नीति (c) प्रबन्ध (d) कार्यालय का उचित संगठन।
  43. प्रश्न- एक सफल व्यवसायी कौन होता है? उन गुणों को बताइये जो आपके विचार में एक सफल व्यवसायी में होने चाहिए।
  44. प्रश्न- ऐसे कौन-से घटक हैं जिन पर व्यावसायिक संगठन के प्रारूप का चयन आधारित होता है? समझाइए।
  45. प्रश्न- व्यावसायिक इकाइयों के स्वामित्व के विभिन्न प्रकार अथवा प्रारूप कौन-कौन से हैं? एकाकी व्यापार को परिभाषित कीजिए तथा इसकी प्रधान विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- एकाकी व्यापार से आप क्या समझते हैं?
  47. प्रश्न- एकाकी व्यापार की विशेषताएँ समझाइए।
  48. प्रश्न- एकाकी व्यापार के गुण एवं दोष समझाइए।
  49. प्रश्न- एकाकी व्यापार की हानियाँ या दोष समझाइए।
  50. प्रश्न- एकाकी व्यापार का सामाजिक महत्व बताइए।
  51. प्रश्न- क्या एकाकी व्यापार प्राचीन जंगली युग का अवशेष माना जाता है?
  52. प्रश्न- एकाकी व्यापार की सीमाएँ एवं भविष्य बताइए।
  53. प्रश्न- "एकाकी नियंत्रण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है यदि वह एक व्यक्ति इतना बड़ा है कि व्यवसाय को भली प्रकार संभाल सके।' व्याख्या कीजिए।
  54. प्रश्न- साझेदारी का आशय एवं परिभाषाएँ दीजिए। इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- साझेदारी की विशेषताएँ, प्रकृति या लक्षण क्या हैं?
  56. प्रश्न- "व्यवसाय के अन्तर्गत साझेदारी प्रारूप अनुपयोगी बन चुका है इसे मिटा देना चाहिए।" इस कथन की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
  57. प्रश्न- साझेदारी की हानियाँ बताइए।
  58. प्रश्न- "साझेदारी का अधिक दिन चलना कठिन है।' आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए और यह सिद्ध कीजिए कि आदर्श साझेदारी अधिक समय तक चल सकती है।
  59. प्रश्न- आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए।
  60. प्रश्न- क्या आदर्श साझेदारी ज्यादा समय तक चल सकती है?
  61. प्रश्न- साझेदारी संलेख क्या है? इसमें किन-किन महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख रहता है?
  62. प्रश्न- साझेदारी तथा सहस्वामित्व में अन्तर बताइये।
  63. प्रश्न- क्या साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? एक साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन न कराने के क्या परिणाम होते हैं?
  64. प्रश्न- "लाभों का बँटवारा करना ही साझेदारी के अस्तित्व का निश्चयात्मक प्रमाण नहीं है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- साझेदारी के भेद कीजिए तथा सीमित साझेदारी की विशेषताएँ लिखिए।
  66. प्रश्न- एकाकी व्यापार तथा साझेदारी से किस प्रकार भिन्न है?
  67. प्रश्न- साझेदारी तथा संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- दीर्घ उत्तरीय संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी क्या है? इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  69. प्रश्न- एक कम्पनी में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  70. प्रश्न- संयुक्त पूँजी कम्पनी के गुण एवं दोष बताइये।
  71. प्रश्न- संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी के दोष बताइये।
  72. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा लोक कम्पनी को परिभाषित कीजिए। इनमें अन्तर बताइये।
  73. प्रश्न- लोक कम्पनी से आपका क्या आशय है?
  74. प्रश्न- सार्वजनिक कम्पनी की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अन्तर बताइए।
  76. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के निर्माण सम्बन्धी प्रावधान बताइये।
  78. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के सम्बन्ध कम्पनी अधिनियम, 2013 में दिये गये प्रावधान बताइये।
  79. प्रश्न- कम्पनी और साझेदारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- कम्पनी के निगमन की विधि के अनुसार कम्पनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- निम्नलिखित को समझाइए - (i) विदेशी कम्पनी (ii) सूत्रधारी कम्पनी |
  82. प्रश्न- निष्क्रिय कम्पनी पर टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी को प्राप्त विशेषाधिकार / छूटें बताइये।
  84. प्रश्न- बहु-व्यक्ति कम्पनी तथा एक व्यक्ति कम्पनी में अन्तर बताइये।
  85. प्रश्न- (i) एकाकी व्यापार की तुलना में संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी से होने वाले लाभ बताइये। (ii) क्या संयुक्त पूँजी कम्पनी प्रारूप साझेदारी प्रारूप पर सुधार है?
  86. प्रश्न- सहकारी संगठन से आप क्या समझते हैं? संगठन के सहकारी प्रारूप के लाभ-दोषों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- सहकारिता या सहकारी संगठन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- सहकारी संगठन के लाभ बताइये।
  89. प्रश्न- सहकारी संगठन अथवा सहकारिता के दोष बताइये।
  90. प्रश्न- सहकारिताओं के प्रारूप या प्रकार बताइये।
  91. प्रश्न- सहकारी संगठन तथा संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी में क्या अन्तर है?
  92. प्रश्न- स्थानीयकरण से क्या आशय है? सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थान निर्धारण सिद्धान्त का आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के स्थानीयकरण सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  94. प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के सिद्धान्त की आलोचनाएं बताइए।
  95. प्रश्न- संयन्त्र स्थान निर्धारण से आप क्या समझते हैं? संयन्त्र स्थान निर्धारण को प्रभावित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  96. प्रश्न- स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
  97. प्रश्न- अल्फ्रेड वेबर का स्थानीयकरण का सिद्धान्त क्या है? इसे कौन-कौन से घटक प्रभावित करते हैं?
  98. प्रश्न- वेबर के स्थानीयकरण सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  99. प्रश्न- वेबर तथा फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थानीयकरण के सिद्धान्तों में अन्तर बताइये।
  100. प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के उद्देश्य व महत्व लिखिए।
  101. प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के लाभ-दोष समझाइये।
  102. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास से आप क्या समझते हैं? एक आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए। वे कौन से उद्देश्य हैं जिन्हें प्रबन्ध वर्ग संयन्त्र अभिन्यास के माध्यम से प्राप्त करना चाहता है?
  103. प्रश्न- आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए।
  104. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के उद्देश्य बताइए।
  105. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के प्रकार बताइए तथा इनके सापेक्षिक लाभ तथा दोष बताइए।
  106. प्रश्न- उत्पाद अथवा रेखा संयन्त्र अभिन्यास के लाभ-दोष समझाइए।
  107. प्रश्न- कार्यात्मक अथवा प्रक्रिया संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके लाभ व हानियाँ समझाइए।.
  108. प्रश्न- स्थिर सामग्री वाला संयन्त्र अभिन्यास अथवा स्थायी स्थिति संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके गुण-दोष बताइए।
  109. प्रश्न- संयुक्त संयन्त्र अभिन्यास को समझाइए।
  110. प्रश्न- अच्छे संयन्त्र अभिन्यास का महत्व बताइए।
  111. प्रश्न- उचित रूप से नियोजित संयन्त्र अभिन्यास के सिद्धान्त बताइए।
  112. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
  113. प्रश्न- व्यावसायिक इकाई से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक इकाई अथवा औद्योगिक इकाई के आकार के माप अथवा प्रमाप या मानदण्ड समझाइये |
  114. प्रश्न- व्यावसायिक या औद्योगिक इकाई के आकार की माप या प्रमाप अथवा मापदण्ड समझाइये।
  115. प्रश्न- व्यवसाय के अनुकूलतम आकार से आप क्या समझते हैं? अनुकूलतम आकार की इकाई निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन हैं, इनकी व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- व्यावसायिक इकाई के अनुकूलतम आकार को निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं, विस्तारपूर्वक समझाइये।
  117. प्रश्न- बड़े आकार से प्राप्त होने वाली मितव्ययिताएँ या बचतें समझाइये।
  118. प्रश्न- व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाई के आकार को निर्धारित करने वाले घटक बताइये।
  119. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म तथा साम्य फर्म क्या हैं?
  120. प्रश्न- अन्तर कीजिए - (a) अनुकूलतम फर्म तथा प्रतिनिधि फर्म (b) अनुकूलतम फर्म तथा साम्य फर्म।
  121. प्रश्न- बड़े आकार वाली व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाइयों की हानियाँ बताइये।
  122. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन से आप क्या समझते हैं? संयोजन आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं? समझाइये।
  123. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन की विशेषताएँ बताइये।
  124. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन के आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  125. प्रश्न- संयोजन के विभिन्न प्रारूपों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- चेम्बर ऑफ कामर्स क्या है? इसके उद्देश्य व कार्य बताइये।
  127. प्रश्न- श्रम संघ को समझाइये।
  128. प्रश्न- अनौपचारिक ठहराव से आप क्या समझते है? इसके प्रकार एवं लाभ-दोष बताइये।
  129. प्रश्न- सन्धान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- उत्पादक संघ क्या होता है?
  131. प्रश्न- प्रन्यास क्या होता है? इसके गुण व दोष लिखिए।
  132. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) सूत्रधारी कम्पनी (b) सामूहिक हित
  133. प्रश्न- पूर्ण संघनन से आप क्या समझते है? इनके गुण व दोष लिखिए।
  134. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के संयोजनों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  135. प्रश्न- औद्योगिक संयोजन क्या हैं? इसके लाभ व दोष बताइए।
  136. प्रश्न- मिश्रित संयोजन क्या है? इसके उद्देश्य बताइए।
  137. प्रश्न- सेवा संयोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  138. प्रश्न- सहायक संयोजन को समझाइए।
  139. प्रश्न- क्या व्यावसायिक संयोजन उपभोक्ताओं के हित में है?
  140. प्रश्न- व्यावसायिक संयोगों के लाभों एवं हानियों की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- क्षैतिज संयोजन तथा उदग्र संयोजन में अन्तर बताइये।
  142. प्रश्न- पूल से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्य बताइये।
  143. प्रश्न- संघ या पूल के लाभ एवं हानियाँ बताइये।
  144. प्रश्न- संघों के प्रकार समझाइये।
  145. प्रश्न- संयोजन के उद्देश्य बताइये।
  146. प्रश्न- उत्पादक संघ कार्टेल तथा संघनन में अन्तर बताइये।
  147. प्रश्न- प्रन्यास एवं उत्पादक संघों में अन्तर बताइये।
  148. प्रश्न- प्रन्यास एवं सूत्रधारी कम्पनी में क्या अन्तर है?
  149. प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं? विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
  150. प्रश्न- विवेकीकरण की विशेषताएं बताइये।
  151. प्रश्न- विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक अथवा कारण कौन-कौन हैं?
  152. प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं। इसके लाभों को बताइये।
  153. प्रश्न- विवेकीकरण के लाभों को बताइये।
  154. प्रश्न- "भारतीय उद्योगों का भविष्य विवेकीकरण में निहित है।' इस कथन की विवेचना कीजिए तथा विवेकीकरण के लाभों को समझाइये |
  155. प्रश्न- विवेकीकरण तथा वैज्ञानिक प्रबन्ध में अन्तर कीजिए।
  156. प्रश्न- विवेकीकरण तथा राष्ट्रीयकरण में अन्तर कीजिए।
  157. प्रश्न- विवेकीकरण के प्रमुख पहलू बताइये।
  158. प्रश्न- विवेकीकरण के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  159. प्रश्न- भारतीय उद्योगों में विवेकीकरण की धीमी प्रगति के कारण स्पष्ट रूप से समझाइये।
  160. प्रश्न- विवेकीकरण का मानवीय या सामाजिक पहलू बताइए। विवेकीकरण के उद्देश्य क्या हैं?
  161. प्रश्न- विवेकीकरण की हानियाँ बताइये।

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